स्वर्ग का सुख भी सत्संग की बराबरी नहीं कर सकता पूज्य सुरेन्द्र महाराज 

कतरास: भागवत कथा के छठे दिन भक्तजनों को पूज्य श्री महाराज जी ने बताया कि सत्संग वह माध्यम है, जो मानव के भीतर छिपे विवेक को जागृत करता है। सत्संग के प्रभाव से मनुष्य सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाता है। महाराज श्री ने कहा कि सत्संग से प्राप्त आनंद इतना दिव्य और महान है कि स्वर्ग का सुख भी उसकी बराबरी नहीं कर सकता। यह आत्मा को शुद्ध करता है और जीवन को सही दिशा प्रदान करता है।मानव जीवन में धर्म का पालन करना अनिवार्य है। धर्म केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह सत्य, न्याय और अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा का परिचायक है।धर्म हमें समाज और मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को निभाने का संदेश देता है। इसके साथ ही, उन्होंने अहंकार से बचने की शिक्षा दी।अभिमान मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है और उसे सच्चे सुख और शांति से वंचित कर देता है।धर्म की रक्षा के लिए यदि प्राणों का बलिदान भी देना पड़े, तो उसे हंसते हुए स्वीकार करना चाहिए। धर्म की रक्षा का अर्थ केवल अपने विश्वासों की सुरक्षा नहीं है, बल्कि यह सत्य, न्याय, और मानवता की रक्षा का प्रतीक है।आज कथा में हरिदास जी महाराज ने भगवान बालकृष्ण की बाल लीला पर विशेष कथा सुनाएं माखन चोरी लीला कालिया नाग मर्दन भगवान माटी खाई , गोपी वस्त्र चीर हरण लीला, और गोवर्धन पूजा की विशेष कथा सुनाई गई और भगवान को छप्पन भोग लगाया गया कथा में किशोरी गुप्ता, कस्तूरी देवी अशोक कुमार वर्मा गीता देवी,विनय कृष्ण गुप्ता, अल्का देवी,संजय चौधरी,सुमन चौधरी बिजया गुप्ता बबीता देवी, श्रीकृष्ण गुप्ता नर्मदा देवी, केडिया परिवार,अवधेश प्रसाद गुप्ता मनिषा देवी,मनोज कुमार गुप्ता कविता गुप्ता,उदय वर्मा सुष्मा वर्मा,सुशील खैतान माया खैतान,महेश अग्रवाल,राजेश चौखानी,बिकास साहू, हिम्मत सिंह सुमन देवी,संजय गुप्ता आदि उपस्थित थे।

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